एलएसी से पीछे हटी चीनी सेना, टेंट सहित निर्माण कार्य भी समेटे
0-डोभाल-वांग यी की बातचीत में तनाव कम करने पर बनी सहमति
0-गलवान घाटी, हॉटस्प्रिंग और गोगरा से पीछे हटी चीनी सेना
नई दिल्ली,06 जुलाई (आरएनएस)। पूर्वी लद्दाख से जुड़े वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच बीते करीब एक महीने ने जारी तनाव कम होने के संकेत मिले हैं। चीन की सेना खूनी झड़प वाली जगह पेट्रोल प्वाइंट 14, गलवान घाटी, हॉटस्प्रिंग और गोगरा से तंबुओं को हटाने के साथ करीब दो किलोमीटर पीछे चली गई है। रविवार को राष्टï्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत के बाद दोनों देश चरणबद्घ तरीक से एलएसी से सैन्य जमावड़ा कम करने पर सहमत हुए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इस आशय की पुष्टिï की है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि रविवार को एनएसए डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत में तनाव कम करने पर सहमति बनी। दोनों देशों ने एलएसपी पर पूर्व स्थिति बहाल करने, तनाव कम करने और चरणबद्घ तरीकेसे सैन्य जमावड़ा घटाने पर सहमति दी। इस दौरान 72 घंटे के बाद स्थिति की समीक्षा करने और सेनाओं को हटाने के क्रम में झड़प रोकने के लिए बफर जोन बनाने पर भी सहमति बनी थी। इस सहमति के बाद चीन की सेना सोमवार को गलवान घाटी की खूनी झड़प वाली जगह के साथ हॉटस्प्रींग और गोगरा पोस्ट से करीब दो किलोमीटर अंदर चली गई। जवाब में भारत ने भी एलएसी पर अपने सैन्य जमावड़ों में कमी की है।
रविवार की बात का पड़ा असर
दरअसल सीमा विवाद पर बातचीत करने और उच्च स्तर पर तनाव टालने के लिए दोनों देशों ने एक समिति बनाई है। भारत की ओर से डोभाल तो चीन की ओर से विदेश मंत्री इसके स्थाई प्रतिनिधि हैं। सूत्रों ने बताया कि रविवार को हुई बातचीत में भारत अपने पुराने रुख पर अडिग रहा। इस दौरान चीन को सैन्य स्तर पर हुई बातचीत के दौरान छह जून को एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल करने पर सहमति की याद दिलाई गई। भारत की ओर से इस दौरान स्पष्ट किया गया कि जब तक एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल नहीं होगी, तब तक आगे की बातचीत से विवाद का समाधान निकालना संभव नहीं है।
दबाव का दिखा असर
भारत ने इस मामले मेंं शुरू से ही चीन के दबाव में ना आने की रणनीति बनाई। जब गलवान घाटी में खूनी झड़प हुई तब भारत का रुख और आक्रामक हो गया। भारत ने चीन की कूटनीतिक घेराबंदी के साथ ही उसे आर्थिक मोर्चे पर झटका देना शुरू किया। चीन के 49 एप पर प्रतिबंध और हुवावे को देश में 5जी सेवा से दूर रखने का संकेत देने के बाद प्रधानमंत्री ने अचानक लेह की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने सीधा संकेत दिया कि भारत एलएसी पर चीन की दादागिरी खत्म करने के लिए दूसरे विकल्प को आजमाने में नहीं हिचकेगा।
इसलिए पीछे हटा चीन
साल 2017 में डोकलाम मामले में भी भारत ने आक्रामक रुख अपनाते हुए चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया था। इस बार चीन की कोशिश भारत केपड़ोसी देशों को भडक़ाकर दबाव बनाने की थी। मगर भारत ने डोकलाम वाली रणनीति अपनाने हुए अपना आक्रामक रुख जारी रखा। पड़ोसी नेपाल, पकिस्तान के आंतरिक मोर्चे पर उलझने के साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन के संयुक्त मोर्चा खोलने के बाद चीन के रुख में अचानक नरमी आई।
तनाव घटा मगर भारत सतर्क
एलएसी से चीनी सेना के पीछे हटने के फैसले के बावजूद भारत बेहद सतर्क है। सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर पूर्व स्थिति की बहाली के बावजूद दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों मेंं पूर्व स्थिति की बहाली में समय लगेगा। तनाव घटने के बावजूद भारत ना तो चीनी एप पर लगे प्रतिबंध को तत्काल वापस लेगा, बल्कि चीनी कंपनियों को ठेका न देने के फैसले पर पुनर्विचार करने में भी जल्दबाजी नहीं दिखाएगा।
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