चौंकाने वाले झूठे दावे का सरकार क्या जवाब देगी?

0- चिंदबरम और सुरजेवाला ने पूछा पीएम से सवाल
नई दिल्ली ,19 जून (आरएनएस)। वरिष्ठ इंका नेता पी. चिदंबरम एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप ङ्क्षसह सुरजेवाला ने सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी द्वारा कहे तथ्यों का हवाला देते हुए कहा , कि ”हम अपनी सेना के साथ खड़े हैं और हमारी सेनाएं हर चुनौती से निपटने में सक्षम रहें, इसके लिए हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।
जबकि प्रधानमंत्री ने कहा, ”लद्दाख में किसी बाहरी व्यक्ति ने घुसपैठ नहीं की। मेरे सामने मेज पर आज के अनेक समाचारपत्र हैं।
स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री का यह बयान हमारे सेना प्रमुख, रक्षामंत्री एवं विदेश मंत्री द्वारा दिए गए पूर्व के बयानों के बिल्कुल विपरीत है।
यदि प्रधानमंत्री का बयान सही है, तो हम सरकार से देशहित में कुछ सवालों के उत्तर मांगते हैं, उनका कहना है, कि
यदि चीनी सेना ने एलएसी को पार करके भारतीय सीमा में घुसपैठ नहीं की, तो 5-6 मई, 2020 को टकराव क्यों हुआ? 5 मई से 6 जून के बीच भारतीय कमांडर, चीनी कमांडरों से किस मामले में वार्ता कर रहे थे? 6 जून को दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच बातचीत का विषय क्या था?
हम यह भी पूछना चाहते हैं कि यदि चीनी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ नहीं कर आई है, तो 15-16 जून को संघर्ष और हमारे सैनिकों की शहादत कहां हुई? किस जगह पर 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 85 सैनिक घायल हुए?
यदि चीनी सेना ने भारत की सरजमीं में घुसपैठ नहीं की है, तो विदेशमंत्री, एस. जयशंकर एवं विदेश मंत्रालय ने अपने बयानों में ‘पहले की यथास्थिति बहाल करने की मांग क्यों रखी थी? ‘पहले की यथास्थिति का और क्या मतलब है? ‘डिसअंगेजमेंट यानि ‘चीनी सेना पीछे लौट रही है, सरकार के इस बयान का क्या मतलब था?
यदि लद्दाख में भारतीय सीमा के अंदर चीनी सेना ने घुसपैठ नहीं की होती, तो हमारे 20 जवानों को शहादत क्यों देनी पड़ी?
प्रधानमंत्री के कल के बयान के बाद चीन ने इस टकराव के लिए भारत पर दोष मंढ़ा है और पूरी गलवान घाटी के ऊपर ही अपना दावा किया है। इस चौंकानेवाले झूठे दावे का सरकार क्या जवाब देगी? क्या भारत सरकार आगे बढ़ इस दावे को खारिज करेगी?
प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले कहा था कि ‘हमारे सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, इसके क्या मायने हैं? फिर, हमारे वीर सैनिकों का बलिदान क्यों और कहाँ हुया? क्या सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उनका बलिदान व्यर्थ न जाए?
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