चिकित्सकों के वेतन भुगतान के लिये राज्यों को निर्देश दे केंद्र: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली,17 जून (आरएनएस)। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि वह कोविड-19 के मरीजों का उपचार कर रहे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान करने और उन्हें आवश्यक पृथक-वास सुविधा उपलब्ध कराने के लिये राज्यों को निर्देश जारी करे। केन्द्र सरकार ने पीठ से कहा कि वह इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी करेगी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये कहा कि कोविड-19 के मरीजों का इलाज और देखभाल कर रहे चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों को पृथक-वास की सुविधा से वंचित नहीं किया जाना चाहिये। शीर्ष अदालत ने चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान और उनकी पृथक-वास की सुविधा के बारे में चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का केन्द्र को निर्देश दिया। साथ ही पीठ ने केन्द्र को आगाह किया कि इसका अनुपालन नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाया जायेगा। शीर्ष अदालत एक निजी चिकित्सक डॉ. आरूषि जैन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है। यही नहीं, इस चिकित्सक ने 14 दिन के पृथक-वास की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केन्द्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाये थे। मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बारे में 24 घंटे के भीतर ही निर्देश जारी करेगी ताकि चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के लिये समय से वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। मेहता ने कहा कि 15 मई के सर्कुलर में आवश्यक सुधार किया जायेगा और कोविड-19 की ड्यूटी में तैनात चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिये पृथकवास की अनिवार्यता खत्म करने का उपबंध हटा दिया जायेगा। पीठ ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने चाहिए। न्यायालय ने 12 जून कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाया था। न्यायालय ने कहा था कि युद्ध के दौरान आप योद्धाओं को नाराज मत कीजिये। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए।पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए। केन्द्र ने इस संबंध में दलील दी थी कि यद्यपि संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है, लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केन्द्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का पृथक-वास अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है।
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