(नई दिल्ली)राजस्व के लिए सब कुछ खोल देना चाहती है दिल्ली सरकार : माकन
0- गंगाराम अस्पताल के ही खिलाफ एफआईआर क्यों?
नई दिल्ली ,07 जून (आरएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन में विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जारी वक्तव्य में कोविड-19 मामले में पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है, कि दिल्ली में प्रतिदिन कोविड पॉजिटिव रोगियों की संख्या सबसे अधिक रही है। वहीं, दिल्ली की रिकवरी दर देश में सबसे कम है। पिछले कुछ दिनों से परीक्षण किए जा रहे प्रत्येक चार लोगों में से एक कोविड पॉजिटिव मिल रहा है। यह संभवत: देशभर में सबसे अधिक है। इसके बावजूद 8 प्रयोगशालाओं को ओवर-टेस्टिंग के लिए बंद करने के लिए नोटिस दिया गया। इन 8 प्रयोगशालाओं में प्रतिदिन 4000 रोगियों का टेस्ट किया जा रहा था, जिससे अब प्रतिदिन 4000 रोगियों की जांच कम की जाएगी। दिल्ली में 29 मई को 7649 टेस्ट किए गए थे, कल से एक दिन पहले, यह सिर्फ 5180 टेस्ट हुए अब आगे यह और कम हो जाएगा। दिल्ली में कोविड पॉजिटिव रोगियों की संख्या को कम करने का क्या यही तरीका है? सरकार मानव जीवन को ताक पर रख स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार किये बिना ही राजस्व के लिए सबकुछ खोलना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसी भी निजी अस्पताल को किसी भी मरीज को प्रवेश देने से मना नहीं करना चाहिए। सरकार के पास ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार और शक्ति है। लेकिन इसका उपयोग सरकार की स्वयं की लापरवाही और अक्षमता से ध्यान हटाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
क्योंकि दिल्ली सरकार के दिल्ली में 38 हॉस्पिटल हैं। इसमें से 33 कोविड रोगियों के इलाज से इनकार कर रहे हैं। 38 में से केवल पांच कोविड रोगियों के लिए चिह्नित हैं।
दिल्ली सरकार एपीपी 7 (स्क्रीन शॉट संलग्न) के रूप में दिखाती है कि कोविड के लिए निर्धारित अस्पतालों के 72 प्रतिशत बेड खाली हैं। वहीं कुल निजी अस्पतालों में 40प्रतिशत बेड खाली हैं और गंगा राम अस्पताल में जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, 12 प्रतिशत बेड खाली हैं। दिल्ली सरकार के अस्पताल के 28 फीसदी बेड ही क्यों भरे हैं और 88प्रतिशत बेड भरे होने के बाद भी गंगा राम अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों की गई है?
उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार भी अपनी ओर से समान रूप से जिम्मेदार है। दिल्ली में केंद्र सरकार के संस्थानों में दिल्ली में लगभग 13,200 अस्पताल हैं। नगर निगम के पास 3500 ऐसे बेड हैं। कोविड रोगियों के लिए 16,700 बेड में से केवल 1502 ही बेड क्यों आरक्षित हैं? उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए पांच दिन इंतजार करना पड़ रहा है। आखिर तैयारी के दौरान जीएनसीटीडी और एमसीडी क्या कर रहे थे? रोगियों को न केवल टेस्ट के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है बल्कि अस्पताल में भर्ती के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है, वहीं अगर जान चली जाए तो फिर अंतिम संस्कार के लिए भी पांच दिन इंतज़ार करना पड़ रहा है। उनका कहना है, कि केवल तीन राज्य तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली रोगसूचक मृतकों का परीक्षण नहीं करते हैं। जबकि यह ट्रेसिंग और टेस्टिंग के लिए आवश्यक है। सिर्फ आंकड़ों को कम रखने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गाइडलाइंस का उल्लंघन ही आंकड़े बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
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