(रायपुर) समय की मांग है हमें कोरोना के साथ एडजस्ट होना होगा : विवेक ढांड

0-लोगों को ढाई माह में समझ आ गया कि आगे जीना कैसे है
0-लोग अब जागरूक हो गए हैं, सामाजिक दूरी का करते हंै पालन
0-हम जागरूक रहे तो बीमारी स्वयं होगी खत्म
रायपुर, 01 जून (आरएनएस)। कोविड-19 संक्रमण काल के दौर में लोगों की दिनचर्या किस तरह से बदल गई है। कोरोना संक्रमण ने लोगों के जीवन को कितना प्रभावित किया है और बदले हुए परिवेश में आमजनों के साथ ही अधिकारीवर्ग इस बदलाव को किस तरह से स्वीकार कर अपने दैनिक जीवन और कार्यस्थल पर इसे किस तरह से स्वीकार कर रहे हैं। कुछ इसी तरह के प्रश्रों को लेकर आज राज्य के पूर्व मुख्य सचिव तथा वर्तमान में रेरा के चेयरमेन विवेक ढांड ने एक निजी समाचार चैनल में अपने अनुभव शेयर किया। एक निजी समाचार चैनल के ई-महामंच में अपने अनुभव शेयर करते हुए श्री ढांड ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान सभी लोगों की दिनचर्या बदली है। उनकी स्वयं की दिनचर्या भी काफी बदल गई है। श्री ढांड ने बताया कि वे नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं। पिछले 10 सालों से वे नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमणकाल में जिम बंद होने पर वे केवल वॉकिंग कर रहे हैं। पहले वे सुबह 7 बजे उठते थे, लेकिन आजकल गर्मी को देखते हुए वे सुबह 6 बजे तक उठ जाते हैं और एक घंटे तक वॉकिंग करते हैं। इसके बाद घर आकर वे स्ट्रीचिंग आदि करते हैं। दिन की शुरूआत वे बदलाव के साथ कर रहे हैं। आफिस में पहले जहां मिलने वालों की संख्या अधिक होती थी, प्रकरण अधिक आते थे। लेकिन कोरोना के चलते आज सारी शिकायतें ई माध्यम से हो रहा है। पहले शाम को लोगों को उनके घर जाकर मिलते थे, आजकल फोन पर ही चर्चा हो रही है। पहले अपने लिए समय होता था, आजकल नहीं मिल पा रहा है। श्री ढांड ने बताया कि तनाव को दूर करने तथा दिमाग को शांत रखने के लिए वे रोज मेडिटेशन कर रहे हैं। कोरोना संक्रमणकाल और लॉकडाउन में कैद होकर रहना पड़ा है, आजकल शासन चाहता हैं कि काम पटरी पर आए, आप इसे किस तरह से देखते हैं? पूछे जाने पर श्री ढांड ने बताया कि जब हम आईएएस में आए थे तो हमें सिखाया गया कि यदि हम किसी को हरा नहीं सकते तो उनके साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए। आज विश्व में कई देश हैं चाइना के आसपास के देश देखिए, हांगकांग, ताईवान जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर हैं, जिन्होंने कोई लॉकडाउन नहीं किया और अर्थव्यवस्था जस की तस चलती रही। हमें भी पिछले ढाई माह में यही सिखा है कि हमें कोरोना के साथ जीना होगा। अब लोगों ने इसे बहुत अच्छे से सीख लिया है, अब बाजारों में लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं, मास्क लगा रहे हैं। धीरे-धीरे अब इसे जीवन जीने का तरीका बनाना होगा। इसी तरह अब हमें बीसी, पीसी याने बी-फोर कोरोना, पोस्ट कोरोना के साथ एडजस्ट करना होगा। खुद को फिट रखने के संबंध में श्री ढांड ने बताया कि यदि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक होगी तो बीमारी स्वयं खत्म हो जाती है। इसी तरह कोरोना को लेकर भी हैं। आज देश में मौत के आंकड़े खासकर कोरोना में पीडि़तों की मौत के आंकड़े कम हैं। इसीलिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर रखना जरूरी है। इसके अलावा आहार भी रोग प्रतिरोधक बढ़ाने में सहायक है। इसके अलावा आयुष मंत्रालय के गाइड लाइन भी काफी सहायक है, जिससे बॉडी की इम्युनिटी बढ़ती है। तन के साथ ही मन की ताकत भी जरूरी है, इसके लिए मेडिटेशन सबसे बढिय़ा उपाय है। आयुष मंत्रालय द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए जारी गाइडलाइन भी इतनी अच्छी है कि इसे सामान्य जनमानस भी अपनाकर स्वस्थ्य रह सकता है। वैक्सीन को डेपलेप करने की प्रक्रिया काफी लंबी प्रक्रिया होती है, इसीलिए स्वस्थ्य रहने और सुरक्षित रहने के लिए देशी नुस्खे अपनाकर आदमी इस बीमारी को मात दे सकता है।
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