एचआईएल ईरान को कीटनाशक उपलब्ध कराने हुआ सहमत

नईदिल्ली,24 मई (आरएनएस)। कोविड-19 के कारण किए गए लॉकडाउन से उत्पन्न लॉजिस्टिक्स एवं अन्य चुनौतियों के बावजूद रसायन और उर्वरक मंत्रालय के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधीनस्थ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) ‘एचआईएल (इंडिया) लिमिटेडÓ ने कृषक समुदाय के लिए बिल्कुल ठीक समय पर कीटनाशकों का उत्पादन और आपूर्ति सुनिश्चित की है।
एचआईएल अब भारत और ईरान के बीच सरकारी स्तर पर हुई व्यवस्था के तहत ईरान को टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 25 एमटी मैलाथियान टेक्निकल का उत्पादन और आपूर्ति करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस वस्तु यानी कीटनाशक का उत्पादन कर इसकी आपूर्ति ईरान को करने के लिए एचआईएल से संपर्क किया है।
यही नहीं, इस केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की क्रेडिट रेटिंग ‘बीबीÓ से बढ़ाकर ‘बीबीबी- Ó कर दी गई है, जो एक ‘स्थिर निवेश ग्रेडÓ को दर्शाती है।
इस कंपनी ने लैटिन अमेरिकी देश पेरु को 10 मीट्रिक टन फफूंद नाशक ‘मैंकोजेबÓ का निर्यात किया है। इतना ही नहीं, 12 और मीट्रिक टन मैंकोजेब का निर्यात अगले एक सप्ताह में किया जाएगा।
इसके अलावा, एचआईएल ने टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए राजस्थान और गुजरात को मैलाथियान टेक्निकल की आपूर्ति करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एचआईएल ने पिछले सप्ताह तक 67 मीट्रिक टन मैलाथियान टेक्निकल का उत्पादन और आपूर्ति की थी।
इतना ही नहीं, एचआईएल ने डेंगू और चिकनगुनिया नियंत्रण कार्यक्रम के लिए नगर निगमों को मैलाथियान टेक्निकल की आपूर्ति की।
परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एनवीबीडीसीपी कार्यक्रमों के तहत दिए गए आपूर्ति संबंधी ऑर्डर के अनुसार राजस्थान, पंजाब, ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों को 314 मीट्रिक टन डीडीटी 50त्न डब्ल्यूडीपी की आपूर्ति की गई। कंपनी 252 मीट्रिक टन की शेष मात्रा को अन्य राज्य को आपूर्ति करने की प्रक्रिया में है।
एचआईएल ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान 15 मई 2020 तक 120 मीट्रिक टन मैलाथियान टेक्निकल, 120.40 मीट्रिक टन डीडीटी टेक्निकल, 288 मीट्रिक टन डीडीटी 50त्न डब्ल्यूडीपी, 21 मीट्रिक टन एचआईएलगोल्ड (जल में घुलनशील उर्वरक), 12 मीट्रिक टन ‘मैंकोजेबÓ फफूंद नाशक (निर्यात के लिए) और 35 मीट्रिक टन कृषि रसायन फॉर्मूलेशनों का उत्पादन किया, ताकि कृषक समुदाय यानी किसानों और स्वास्थ्य विभाग को लॉकडाउन की वजह से परेशानी का सामना न करना पड़े।
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