केंद्र के आर्थिक पैकेज में मनरेगा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कारोबार सुधारों पर जोर

नई दिल्ली,17 मई (आरएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पांचवीं और अंतिम किस्त में भी सुधारों पर ही जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस किस्त में मनरेगा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कारोबार, कंपनी अधिनियम के उल्लंघनों को गैर-आपराधिक बनाने, कारोबार की सुगमता, सार्वजनिक उपक्रम और राज्य सरकारों से जुड़े संसाधनों पर ध्यान दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पीएम किसान की 2,000 रुपये की नकद सहायता योजना के तहत 8.19 करोड़ किसानों को 16,394 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
उन्होंने बताया कि वृद्ध और अन्य लोगों को 1,405 करोड़ रुपये की पहली किस्त और 1,402 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त का भी भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि 20 करोड़ महिला जन धन खाताधारकों को 10,025 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये हैं। इसके साथ ही, गरीबों को 6.81 करोड़ रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त दिये गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनो वायरस महामारी के मद्देनजर लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 10 प्रतिशत यानी 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की इस सप्ताह की शुरुआत में घोषणा की थी। इसमें 27 मार्च को तीन महीने के लिये गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और नकदी के जरिये 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के माध्यम से 5.6 लाख करोड़ रुपये के उपाय भी शामिल हैं।
पिछले चार दिनों में चार किस्तों में सरकार ने करीब 11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। घोषित किये गये उपायों में छोटे व्यवसायों, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं, किसानों और गरीब प्रवासियों के साथ-साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्त वित्त संस्थानों (एमएफआई) और बिजली वितरकों के लिये राहत दी गयी हैं। चौथी किस्त में शनिवार को, सरकार ने रक्षा विनिर्माण में विदेशी निवेश सीमा को बढ़ाने की घोषणा की। इसके अलावा वाणिज्यिक कोयला खनन, खनिज ब्लॉकों की नीलामी, बिजली वितरण में सुधार, अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिये खोलने, विमानन क्षेत्र में सुधार आदि की घोषणा की गई। देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इसे अभी तक दो बार बढ़ाया जा चुका है। एक अनुमान के अनुसार, लॉकडाउन के कारण अप्रैल में 12.2 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं और उपभोक्ता मांग बहुत नीचे जा सकती है।
मनरेगा में 40 हजार करोड़ रुपए का आवंटन बढ़ाया
गांव जा रहे प्रवासी मजदूरों को काम मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में काम की कमी ना आए और आमदनी का साधन मिले इसके लिए 40 हजार करोड़ रुपए का अधिक आवंटन किया जा रहा है। इससे 300 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस उत्पन्न होंगे।
जनस्वास्थ्य क्षेत्र के लिए घोषणा
जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। इसके लिए रिफॉर्म्स किए जाएंगे। ग्रामीण स्तर पर ऐसी सुविधाएं देने की आवश्यकता है जो महामारी की स्थिति में लडऩे की क्षमता हो। इसके लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में वेलनेस सेंटरों को बढ़ावा दिया जाए। सभी जिला स्तर के अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लडऩे की व्यवस्था की जाएगी। लैब नेटवर्क मजबूत किए जाएंगे। सभी जिलों में प्रखंडस्तर पर एकीकृत लैब बनाए जाएंगे।
दिवालियापन की कार्रवाई पर एक साल की रोक
जिस तरह एमएसएमई की परिभाषा बदलकर उनके लिए विस्तार का रास्ता खोला। उन पर दिवालियापन की कार्रवाई ना हो इसके लिए न्यूनतम सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया है। इससे एमएसएमई सेक्टर को फायदा होगा। विशेष दिवालियापन रेज्यूलेशन फ्रेमवर्क को आईबीसी के 240 ए में जोड़ दिया जाएगा। एक साल तक दिवालियापन की कोई कार्रवाई शुरू नहीं होगी।
पीएम ई-विद्या प्रोगाम की शुरुआत
मल्टीमोड एक्सेस डिजिटल/ऑनलाइन के जरिए पढ़ाई के लिए पीएम ई विद्या योजना की शुरुआत की जाएगी। दीक्षा- स्कूल एजुकेशन के लिए ई-कॉन्टेंट और क्वी आर कोड से जुड़े किताब उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका नाम होगा वन नेशन वन डिजिटल प्लैटफॉर्म होगा। हर क्लास के बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग टीवी चैनल होगा, वन क्लास वन चैनल योजना के जरिए। रेडियो, कम्युनिटी रेडियो और पॉडकास्ट का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। द्वियांगों के लिए भी सामग्री तैयार की जाएगी ताकि वे भी ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। अधिकतर बच्चों का समय टीवी और स्मार्टफोन के सामने गुजर रहा है। गतिविधियां कम हो गई हैं। घर से बाहर निकलना कम हो गया है। उनके मेंटल हेल्थ और साइकलॉजी सपॉर्ट के लिए मनोदर्पण की शुरुआत की जाएगी।
कंपनीज ऐक्ट का गैर आपराधिकरण
छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को आपराधिक सूची से हटा दिया जाएगा। पहले इसे आपराधिक रूप में देखा जाता था। जैसे सीएसआर रिपोर्टिंग में कोई कमी रह गई या बोर्ड रिपोर्ट में छोटी मोटी कमी रह गई, फाइलिंग के समय डिफॉल्ट हो गया, एजीएम में देरी हो गई। इन सबको आपराधिकरण की सूची से हटा दिया गया है। इससे न्यायालयों पर भी दबाव कम होगा। 7 कंपाउडेबल ऑफेंस को खत्म कर दिया गया है। निजी कंपनियां अब विदेशों में शेयरों को सीधे सूचीबद्ध करा सकती हैं। यह भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी घोषणा है।
निजी क्षेत्रों के लिए खोले गए सभी सेक्टर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी सेक्टर्स को निजी क्षेत्रों को खोला जाएगा। रणनीतिक क्षेत्र में कम से कम एक सार्वजनिक उप्रकम भी बने रहेंगे, लेकिन इनकी अधिकतम संख्या 4 होगी। यदि चार से अधिक सार्वजनिक उक्रम हैं तो उनका विलय किया जाएगा। भारत और दुनिया में कुछ दशकों में बड़े बदलाव आए हैं। सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर भी नई नीति की जरूरत है। जनहित, राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर स्ट्रैटिजिक सेक्टर की एक लिस्ट बनाई जाएगी। इससे बाहर जो कंपनियां रह जाएंगी उनके निजीकरण का मौका दिया जाएगा, विलय किया जाएगा। पीएसई के निजीकरण का सही समय पर देखकर फैसला किया जाएगा। रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक सरकारी उपक्रम बना रहेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में उठाए गए कदम
कोरोना को रोकने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया गया था। इसमें 4113 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए। 3750 करोड़ रुपए जरूरी वस्तुओं पर खर्च किए गए। टेस्टिंग किट्स और लैब के लिए 550 करोड़ रुपए दिए गए। कोरोना वॉरियर्स, स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस दिया गया। टेलीकम्युनिकेशन के परामर्श की शुरुआत की गई। आरोग्य सेतु को करोड़ों लोगों ने यूज किया। यूपीआई भीम की तरह यह भी देश में बेहद सफल रहा है। हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा देने के लिए कानून में बदलाव किया गया। भारत में एक भी पीपीई कंपनी नहीं थी आज 300 से ज्यादा यूनिट है। लाखों एन95 मास्क बनाए जा रहे हैं। 11 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट का उत्पादन किया गया है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
कोरोना वायरस संकट के दौरान कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए बोझ घटाया गया। बोर्ड मीटिंग, ईजीएएम, एजीएम आदि वर्जुअल करने की इजाजात दी गई। राइट्स इश्यू की ऑनलाइन किया जा सकता है। पीएम केयर्स के फंड को सीएसआर के लिए मान्यता दी है। 2016 के बाद आईबीसी के जरिए दोगुनी रिकवरी हुई है। 1.84 लाख करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।
शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल
वित्त मंत्री ने कहा कि गरीब के बच्चों तक इस समय कैसे शिक्षा पहुंचाई जाए। इसके लिए एचआरडी मंत्रालय ने अच्छा काम किया। स्वंय प्रभा डीटीएच के जरिए बच्चों को पहले से शिक्षा दी जा रही थी। इसमें 12 और चैनल जोड़े जाएंगे। लाइव सेशन के टेलिकास्ट के लिए भी इसका प्रवाधन स्काईप के जरिए किया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में भी बच्चों ने इसका फायदा उठाया। टाटा स्काई और एयरटेल टीवी से भी समझौता किया गया था। राज्यों से हर दिन 4 घंटे की सामग्री मांगी गई है।
कोरोना के समय राज्यों को मदद
वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से राज्य और केंद्र की आय में भारी कमी आई है। केंद्र सरकार ने लगातार खुले दिल के साथ राज्यों की मदद की है। यह हमारी जिम्मेदारी है। अप्रैल में 40 हजार 38 करोड़ रुपया राज्यों को दिया गया है। रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के तहत 12390 करोड़ रुपए दिए गए हैं। स्टेट डिजास्टर फंड से 11092 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4113 करोड़ रुपए कोरोना से लडऩे के लिए दिए हैं। केंद्र सरकार के अनुरोध पर आरबीआई ने वेज और मीन्स अडवांस को 60 पर्सेंट तक बढ़ा दिया। ओवरड्राफ्ट सीमा को 14 दिन से बढ़ाकर 21 दिन किया गया। तिमाही में ओवरड्राफ्ट रखने की सीमा को 31 दिन से बढ़ाकर 50 दिन किया गया है। राज्यों को उधार सीमा को जीएसडीपी के 3 पर्सेंट से बढ़ाकर 5 पर्सेंट कर दिया है। राज्यों ने सीमा का 14 पर्सेंट ऋण लिया है। 86 पर्सेंट का इस्तेमाल नहीं किया है। कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद उन्हें इससे अतिरिक्त ऋण प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा।
गरीबों को अनाज और नकद कैश की मदद
निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले चार दिनों में आत्मनिर्भर भारत के लिए लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ पर आज का फोकस किया गया है। शुरुआत हमने गरीब कल्याण योजना के साथ की थी। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की गई। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत खाते में कैश डाले गए। डीबीटी टेक्नॉलजी से पीएम किसान में योजना के तहत 8.19 करोड़ किसानों को मदद दी गई है। 2 करोड़ 81 लाख वुद्ध और दिव्यांगों को पेंशन दिया गया। जनधन खाता धारक 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 10025 करोड़ रुपए डाले गए। निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को 3950 करोड़ रुपए की मदद दी गई। 2.20 करोड़ लोगों को इसका फायदा हुआ। सभी के खाते में पैसे गए। यह डीबीटी की वजह से संभव है। 6.81 करोड़ रसोई गैस सिलेंडर लाभार्थियों को मुफ्त में दिए गए हैं। 12 लाख से अधिक ईपीएफओ खाताधारकों ने पैसे निकाले हैं।
मजदूरों को घर ले जाने के लिए ट्रेनें चलाई गई हैं। मजदूरों को ट्रेनों से ले जाने का 85 खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया है। 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों ने किया है। ट्रेनों में उन्हें खाना भी उपलब्ध कराया गया। 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था की है। कोविड-19 के बाद के दौर के लिए उन्हें हर तरह की मदद देनी है। कोरोना के बाद व्यापार को लेकर तनावग्रस्त स्थिति होगी। इसलिए हमने कई ऐलान किए हैं।
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