सुप्रीम कोर्ट का कोरोना रोगियों के उपचार के निर्देश बदलने से किया इनकार
नई दिल्ली,30 अपै्रल (आरएनएस)। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार रोगियों के उपचार के लिए दिशानिर्देश बदलने को लेकर किसी तरह का निर्देश देने से इनकार कर दिया। इन रोगियों को मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन दिया जा रहा है।
अदालत ने कहा कि वह इलाज को लेकर विशेषज्ञ नहीं है। जस्टिस एन वी रमण, संजय किशन कौल और बी आर गवई की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट द्वारा दायर याचिका को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का प्रतिनिधित्व माना। सुनवाई के दौरान ओहियो स्थित भारतीय मूल के डॉक्टर और पीबीटी अध्यक्ष कुणाल साहा ने कहा कि उन्होंने कोविड-19 के लिए उपचार को नहीं बल्कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन के उपयोग के दुष्प्रभाव को चुनौती दी है क्योंकि लोग इसके कारण मर रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए साहा ने कहा कि एक अमेरिकी हृदय संस्थान द्वारा दुष्प्रभावों को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की गई है। जिसपर विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि अभी तक कोविड-19 के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है और डॉक्टर अलग-अलग तरीके आजमा रहे हैं।
अदालत ने कहा कि इलाज को लेकर विशेषज्ञ नहीं है। इलाज के तरीकों का निर्धारण करना डॉक्टरों के हाथ में है और अदालत यह तय नहीं कर सकती है कि किस तरह का इलाज दिया जाए। पीठ ने साहा को आईसीएमआर के प्रतिनिधित्व के रूप में अपनी याचिका लेने को कहा, जो इसके सुझावों की जांच कर सकती है। साहा ने कहा कि वह यह नहीं कर रहे हैं कि इलाज के लिए कोई विशेष तरीका सही है लेकिन वे सावधानी बरतने के लिए कह रहे हैं क्योंकि लोग इसके दुष्प्रभावों से मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक सूचित सहमति होनी चाहिए क्योंकि मरीज को यह जानने का अधिकार है कि उपचार के इस तरीके में जोखिम भी शामिल है। पीठ ने कहा कि न्यायालय उपचार के लिए अपनाए जाने वाले किसी विशेष तरीके के बारे में निर्देश नहीं दे सकता है। साथ ही उसने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह यह याचिका आईसीएमआर को उपलब्ध कराएं जो इन सुझावों पर गौर करेगी।
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