पूर्व रॉ अधिकारी को यौन उत्पीडऩ मामले में एक लाख का मुआवजा

नई दिल्ली,25 अपै्रल (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक पूर्व महिला रॉ अधिकारी की यौन उत्पीडऩ की शिकायत का सही निस्तारण नहीं होने के लिए उसे एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने इसे महिला के मौलिक अधिकारों का हनन माना है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारी की तरफ से अपने कंपलसरी रिटायरमेंट के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने महिला अधिकारी के कंपलसरी रिटायरमेंट को सही ठहराया था।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यौन उत्पीडऩ की शिकायत का सही तरीके से निस्तारण नहीं किए जाने के कारण महिला अधिकारी को काफी अमर्यादित हालातों से गुजरना पड़ा। पीठ ने कहा कि महिला अधिकारी की शिकायत पर जांच का नतीजा चाहे कुछ भी निकला हो, लेकिन उसके मौलिक अधिकारों का सही मायने में उल्लंघन हुआ है। लिहाजा महिला अधिकारी मुआवजे की हकदार है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कंपलसरी रिटायरमेंट पर हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। साथ ही पीठ ने महिला अधिकारी की पेंशन भी उसकी वास्तविक कंपलसरी रिटायरमेंट की तारीख से नहीं बल्कि काल्पनिक सेवानिवृत्ति की तारीख से देने का आदेश दिया। इस अतिरिक्त रकम को छह हफ्ते के भीतर महिला अधिकारी को देने के लिए कहा गया है। महिला अधिकारी को भी तीन महीने के भीतर सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया गया है।
2007 का है मामला
महिला अधिकारी को फरवरी 1988 में बतौर अधिकारी रॉ में नियुक्ति मिली थी। उसने 2007 में दो अधिकारियों पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। बाद में दिसंबर 2009 में महिला को कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया गया था।
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