सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स फंड के खिलाफ याचिका
0-आज होगी सुनवाई
नई दिल्ली,12 अपै्रल (आरएनएस)। कोरोना वायरस से निपटने को पीएम केयर्स फंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। एक जनहित याचिका में केंद्र सरकार के इस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। कोरोना वायरस से लडऩे के लिए पीएम केयर्स फंड में आम नागरिक भी धन दान कर सकते हैं।
केंद्र ने 28 मार्च को किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पीएम केयर्स फंड की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटना और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है। बता दें कि प्रधानमंत्री इस फंड के अध्यक्ष होते हैं और रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके न्यासी होते हैं। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और एम.एम. शांतनगौदर की खंडपीठ कल वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम केयर्स फंड की स्थापना के खिलाफ वकील एम एल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेंगे।
जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पीएम केयर्स फंड की स्थापना के बारे में जानकारी दी गई और भारत के प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से लडऩे के लिए दान करने की अपील की, जबकि इस संबंध में कोई भी अध्यादेश या भारत सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना जारी नहीं की गई। जनहित याचिका में फंड में अब तक प्राप्त दान को भारत के समेकित कोष में स्थानांतरित करने की मांग की है। इस याचिका में फंड के सभी ट्रस्टियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री को भी इसमें शामिल किया है। इसके अलावा फंड की स्थापना की जांच के लिए अदालत की निगरानी वाली एसआईटी जांच की मांग भी की है। इसमें कहा गया है कि ट्रस्ट को संविधान के अनुच्छेद 267 और 266 (2) के अनुसार बनाया जाना चाहिए, जो कि भारत के फुटकर खर्च और समेकित निधि से संबंधित है। जनहित याचिका में कहा गया कि अनुच्छेद 267 के अनुसार संसद/राज्य विधानसभा द्वारा ना तो ट्रस्ट का गठन किया गया है, ना ही इसे संसद द्वारा पारित किया गया है और ना ही इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस संबंध में कोई अध्यादेशअधिसूचना भी नहीं है।
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