बंद के समर्थन पर किसी संगठन को विदेशी फंड लेने से नहीं रोक सकते:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली,07 मार्च (आरएनएस)। केंद्र सरकार ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) 2010 का इस्तेमाल करते हुए गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विदेशी फंडिंग रोक दिया है।
केंद्र सरकार के इस कदम को एनजीओ इंसाफ (इंडिया सोशल एक्शन फोरम) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सुनवाई की। दो सदस्यीय बेंच ने शुक्रवार को अपने फैसले में केंद्र को झटका दिया। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर कोई संगठन सक्रिय राजनीति में नहीं है और जनहित के लिए बंद या हड़ताल का समर्थन करता है, तो उसे राजनीतिक संगठन घोषित कर विदेशी फंड प्राप्त करने से नहीं रोका जा सकता। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि किसी संगठन को विदेशी धन प्राप्त करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को एफसीआरए के नियमों और प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि श्प्रावधानों से ही यह स्पष्ट है कि बंद, हड़ताल, रास्ता रोको इत्यादि को राजनीतिक कार्रवाई के सामान्य तरीके के रूप में लिया जाता है, लेकिन कोई भी संगठन जो बिना किसी राजनीतिक लक्ष्य के अपने अधिकारों के लिए धरना-प्रदर्शन करने वाले लोगों का समर्थन करता है, तो उसे राजनीतिक प्रवृति का संगठन घोषित कर दंडित नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एफसीआरए का हवाला देते हुए गैर सरकारी संगठनों की विदेशी फंडिंग पर रोक लगा रखी है। इस कानून के मुताबिक सरकार किसी भी ऐसे संगठन पर लगाम लगा सकती है, जो गैर राजनीतिक होते हुए भी राजनीतिक दल के तौर पर काम कर रहा हो। इस कानून का इस्तेमाल करते हुए सरकार की ओर से विदेशी फंडिंग रोकी गई है। इसके बाद इंसाफ ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।
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