सीएए विरोधी प्रदर्शनों में पाक का हाथ

नई दिल्ली,07 मार्च (आरएनएस)। भारत सरकार के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि पाकिस्तान के इशारे पर ही पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन हुए थे। इसके लिए पाकिस्तान से दिशानिर्देश मिलने के साथ ही धन भी मुहैया कराया गया था। यहां तक कि इस्लामाबाद ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में 2002 के गुजरात दंगों के साथ दिल्ली के दंगों की बराबरी करने का पूरा प्रयास किया था।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दोनों देशों के बीच फोन पर हुई बातचीत के कॉल रिकॉर्ड जुटाए हैं। जहां उनका मानना था कि पाकिस्तानी गुर्गे धन की कमी के नहीं होने के बावजूद 3-4 मार्च को सीएए विरोधी प्रदर्शनों के लिए पर्याप्त भीड़ नहीं जुटा पाने पर अपने स्रोतों को बंद कर रहे हैं। इस तरह की एक कॉल में, हैंडलर अपने संपर्क को डांटते हुए कहता है कि उसे अपने आकाओं को प्रदर्शनों में कम हो रही भीड़ के बारे में बताना होगा। हालांकि, कॉल का संदर्भ स्पष्ट है, लेकिन यह प्रमाणित नहीं है कि इसे कब और किन दो वक्ताओं की बातचीत के दौरान रिकॉर्ड किया गया था। विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली के दंगों में मानवीय और भौतिक लागत शामिल होना महत्वपूर्ण है। यह काफी स्वाभाविक है कि पाकिस्तान और उसके दोस्त उत्तर भारत में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ वीडियो और भाषणों के माध्यम से युवा मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। वे कहते हैं कि गुजरात में 2002 के दंगों के बाद इसी तरह के तौर-तरीकों को अपनाया गया था। इस्लामाबाद के इस काम में ईरान और तुर्की जैसे अन्य देशों द्वारा मदद की जा रही है ताकि इस्लाम की दुनिया में शिया और सुन्नी नेतृत्व बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा सकें। यहां तक कि पाकिस्तान भारत में मुस्लिमों की हत्याओं और उत्पीडऩ के आरोप लगाते हुए भारत को बदनाम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में चला गया है।
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