हाईकोर्ट ने 11 मार्च तक अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार पर लगाई रोक

नई दिल्ली,06 मार्च (आरएनएस)। दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और अन्य पक्षों को 12 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट कई नेताओं के खिलाफ कथित भड़काऊ बयान देने के लिए एफआईआर दर्ज करने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बैंच ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और नेताओं के कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारियों की मांग करने वाली जनहित याचिका को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों से 11 मार्च तक सभी अज्ञात शवों का निपटान नहीं करने और सभी के डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखने को कहा है। कोर्ट ने शवों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराने का भी निर्देश दिया है।
दिल्ली सरकार, पुलिस से जवाब तलब
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर-दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार लोगों के नाम प्रकाशित करने की माकपा नेता बृंदा करात की जनहित याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली सरकार और पुलिस से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बैंच ने करात की याचिका पर दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है। याचिका में अपील की गई है कि गिरफ्तार व्यक्तियों की एक सूची जिले के पुलिस नियंत्रण कक्ष और पुलिस स्टेशनों के बाहर लगाई जाए। याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह हिंसा में दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम और नंबरों वाली स्थिति रिपोर्ट भी मांगे। दिल्ली हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हैं।
अब तक 53 की हुई मौत
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब तक 53 हो गई है। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में गुरुवार को मौत के छह और मामले आने के बाद यह संख्या बढ़कर 44 हो गई। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पांच, एलएनजेपी अस्पताल में तीन, और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में एक मौत हुई है। इनमें दिल्ली पुलिस के हेडकांस्टेबल रतनलाल और आईबी ऑफिसर अंकित शर्मा भी शामिल हैं।
दिल्ली हिंसा में 654 केस दर्ज
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि हाल में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उसने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने अपना बयान जारी कर कहा कि 654 दर्ज मामलों में से 47 शस्त्र कानून से जुड़े हुए हैं। पुलिस ने कहा कि कुल 1820 लोगों को सांप्रदायिक दंगों के मामले में या तो हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
वेबसाइट पर दें मृतकों की पूरी जानकारी
उधर, दिल्ली होईकोर्ट ने गुरुवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान सरकारी अस्पतालों के शवगृहों में लाए गए अज्ञात शवों के बारे में अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर पूरी जानकारी प्रकाशित करे। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया। उत्तरपूर्वी दिल्ली में हाल में हुए दंगों के बाद से लापता अपने एक रिश्तेदार के बारे में जानकारी को लेकर एक व्यक्ति ने यह याचिका दायर की थी। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह लापता हमजा के बारे में पता लगाने के लिए श्हर संभव प्रयास करें। अदालत में पुलिस का प्रतिनिधित्व दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराध) राहुल मेहरा और वकील चौतन्य गोसैन कर रहे थे। सुनवाई के दौरान मेहरा ने अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार याचिकाकर्ता अंसारी मोहम्मद आरिफ को उन सभी अस्पतालों के शवगृहों में जाने की सुविधा उपलब्ध कराएगी जहां दंगे के दौरान मारे गए लोगों के शव रखे गए हैं।
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