कृषि विज्ञान केंद्रों को प्रगतिशील किसानों की सेवा करनी चाहिए:तोमर

नईदिल्ली,28 फरवरी (आरएनएस)। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह किया है कि वे सीमांत किसानों तक भी पहुंचें। शुक्रवार को 11वें राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) सम्मेलन-2020 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को न केवल संपन्न, साधन संपन्न और प्रगतिशील किसानों की सेवा करनी चाहिए बल्कि छोटे और वंचित किसानों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। केवीके के पास प्रयोगशालाओं का लाभ खेतों तक ले जाने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पर्याप्त अनुसंधान और विकास किए गए हैं। बेहतर फसल प्रजातियां जारी की गई हैं, किसानों के लिए 171 मोबाइल ऐप विकसित किए गए हैं और तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) खोले गए हैं, लेकिन अब गरीब से गरीब किसानों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। तोमर ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।
तोमर ने कहा कि ई-नाम पोर्टल का सृजन किया गया है ताकि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके। ई-नाम पोर्टल पर पहले ही 585 मंडियां शामिल की जा चुकी हैं और नियत समय में 415 अन्य मंडियों को भी शामिल किया जाएगा। ई-नाम पोर्टल पर 91 हजार करोड़ रूपये का ई-व्यापार (ई-ट्रेड) हो चुका है। तोमर ने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और संबद्ध क्षेत्र की हिस्सेदारी अपने आप में कम है। लेकिन यह चिंता की बात है कि इस क्षेत्र के अंदर अकेले कृषि का योगदान बागवानी, मत्स्य पालन और यहां तक कि पशुपालन की तुलना में भी कम है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम दो कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना करना है।
उन्होंने कहा कि आवश्यकता से अधिक खाद्यान्नों की उपज के तीन प्रमुख कारक हैं- पहला किसानों की मेहनत, दूसरा कृषि वैज्ञानिकों, प्रयोगशालाओं एवं विश्वविद्यालयों की भूमिका और तीसरा केन्द्र एवं राज्य सरकारों की किसान कल्याण नीतियां, योजनाएं और प्रोत्साहन। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी आदर्श स्थिति बनानी होगी, जिससे कृषि क्षेत्र को आकर्षक बनाया जा सके। तोमर ने कहा कि किसानों को अपने उत्तराधिकारियों के लिए न केवल जमीन के टुकड़े, बल्कि एक पेशे के रूप में कृषि की विरासत भी सौंपनी होगी।
प्रयोगशालाओं और खेतों के बीच एक कड़ी के रूप में कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि 1974 में पुडुचेरी में पहले केवीके के निर्माण के बाद अब पूरे देश में 717 केवीके काम कर रहे हैं। केवीके को मजबूत करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को बेहतर बीज, बेहतर फसलों के लिए सिंचाई और खाद, फसल कटाई के लिए मशीनें और उनके उत्पादों का सर्वोत्तम मूल्य देने वाला एक बाजार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा।
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने अपने संबोधन में प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों के डेटाबेस को अपडेट करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केवीके को किसानों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए एकल खिड़की सेवा प्रदान करनी चाहिए।
इस अवसर पर तोमर और अन्य गणमान्य लोगों ने केवीके द्वारा विकसित विभिन्न उत्पादों और उसकी कई संदर्भ पुस्तिकाएं जारी कीं।
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