हिरासत में हुई मौत और दुष्कर्म के मामलों में न्यायिक जांच कराने की मांग

नई दिल्ली,24 जनवरी (आरएनएस)। राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के डायरेक्टर सुहास चकमा ने हिरासत के दौरान और जेल में हुई कथित मौत, दुष्कर्म और गायब हुए लोगों की न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट से अपनी इस याचिका पर दिशा-निर्देश और आदेश जारी करने की अपील की है। इस याचिका के जवाब में कोर्ट ने भारत सरकार से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि करीब दो सप्ताह पहले आरआरएजी के थिंक टैंक चकमा ने गुवाहाटी भारत सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की थी। उनका कहना था कि इस कानून से किसी का कोई फायदा नहीं होने वाला है। उनका कहना था कि नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने की बजाए इस पर एक खुली बहस करवाए जिससे इसका हल निकाला जा सके। आपको बता दें कि सरकार साफ कर चुकी है कि यह कानून बाहरी लोगों को नागरिकता देने के लिए है न कि देश में बसने वाले लोगों की नागरिकता छीनने के लिए इस कानून को लागू किया गया है। विभिन्न मंच से सरकार की तरफ से इस बारे में जानकारी भी दी जा रही है। इसके बाद भी देश के कई हिस्सों में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
असम में इसको लेकर सबसे पहले विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। यहां पर ये विरोध प्रदर्शन बाद में हिंसा में बदल गया था जिसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाजी भी हुई थी। असम में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान कुछ लोगों की मौत भी हुई थी। कई लोगों को हिरासत में लिया गया था। चकमा का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को इस बारे लोगों की राय जाननी चाहिए। इसके अलावा उनका ये भी कहना है कि अगले संसद के सत्र में इस पर बहस की जानी चाहिए। आपको बता दें कि चकमा उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका ये भी कहना है कि केंद्र सरकार को इस कानून के बाबत बांग्लादेश और नेपाल से भी बात करनी चाहिए।
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