कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा, 25 लाख का जुर्माना भी

नई दिल्ली,20 दिसंबर (आरएनएस)। उन्नाव रेप केस में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषी विधायक को अब बाकी बची उम्र जेल में ही काटनी होगी। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इस मामले में सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो उन्हें एक महीने के अंदर जमा करना होगा। साथ ही अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि बलात्कार पीडि़ता को 10 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए जो उनकी मां को मिलेगा। अदालत ने सीबीआई को पीडि़त और उसके परिवार को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है।
अदालत ने कहा है कि सीबीआई को पीडि़ता और उसके परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरा और उनकी सुरक्षा का हर तीन महीने में आकलन करते रहना होगा। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीडि़ता और उसके परिवार के किराए के आवास के लिए एक साल तक प्रति माह 15,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया है। अदालत ने आदेश दिया कि पीडि़ता और उसका परिवार दिल्ली महिला आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए किराए के आवास में एक साल तक रहेगा।
सेंगर ने लोगों के साथ विश्वासघात किया
सजा का ऐलान करते हुए कोर्ट ने कहा, श्सेंगर ने जो भी किया, वह बलात्कार पीडि़ता को डराने-धमकाने के लिए किया। हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी, सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया।
सीबीआई ने भी की थी कड़ी सजा की मांग
इससे पहले 2017 के अपहरण और बलात्कार मामले में विधायक सेंगर को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल करने में देरी को लेकर सीबीआई को भी फटकार लगाई थी। महिला आरोपी शशि सिंह को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया था। उधर, सेंगर के लिए सीबीआई ने भी कोर्ट से उम्रकैद की सजा की मांग की थी। सीबीआई ने जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा से कहा था कि वह सेंगर को अधिकतम उम्रकैद की सजा दें क्योंकि यह एक व्यक्ति की व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई है। सीबीआई ने बलात्कार पीडि़ता के लिए पर्याप्त मुआवजा देने का भी अनुरोध किया। उन्नाव केस में एक मामले पर कोर्ट ने फैसला दिया था, लेकिन 4 अन्य मामलों में फैसला आना अभी बाकी है। कोर्ट ने विधायक सेंगर की मोबाइल लोकेशन को अहम सबूत माना। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि पीडि़ता को शशि सिंह ही दोषी विधायक के पास लेकर गई थीं। सेंगर को आईपीसी की धारा 376, सेक्शन 5(ब) और पॉक्सो ऐक्ट के तहत दोषी करार दिया।
सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति
दोषी करार देते हुए अदालत ने कहा था, कि सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था, पीडि़ता महानगरीय शिक्षित क्षेत्र की नहीं बल्कि गांव की लड़की थी, जिसकी वजह से मामला दर्ज कराने में देर हुई। उसके द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जाने के बाद उसके परिवारवालों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए।श् अदालत ने सीबीआई द्वारा मामले में आरोप-पत्र दायर करने में विलंब पर हैरानी जताते हुए कहा कि इसकी वजह से सेंगर के खिलाफ सुनवाई लंबी चली।
2017 में नाबालिग का किया था रेप
सेंगर ने 2017 में एक युवती का अपहरण करने के बाद उससे बलात्कार किया था। यूपी की बांगरमऊ विधानसभा सीट से चौथी बार विधायक बने सेंगर को इस मामले के बाद अगस्त 2019 में बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था। अदालत ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो कानून से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।
28 जुलाई को हुआ था पीडि़ता का ऐक्सिडेंट
इस बीच पीडि़त युवती को कथित तौर पर मारने की भी कोशिश की गई। उनकी कार को 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। दुर्घटना में युवती की 2 रिश्तेदार मारी गईं और उनके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तर प्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित किया था। सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया था कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए।
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