शह-मात के चक्कर में अमित शाह

नयी दिल्ली ,13 नवंबर (आरएनएस)। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के अलगाव होने के बाद भी अमित शाह अपनी सरकार बनाने में कोई भी कसर छोड़ नहीं रहे है। उधर शिवसेना की भी हालत लगभग वैसी ही जैसे अपने घर से भागा बच्चा हो। ऐसा जान पड़ता है कि कही लौट के बुघू घर के आये वाली कहावत शिवसेना पर सही ना बैठ जाये। सरकार गठन पर फंसा पेंच जब नहीं सुलझा तो आखिरकार राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। महाराष्ट्र में अगले 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। लेकिन इस बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने हार नहीं मानी है। कांग्रेस नेताओं का एक दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से सरकार गठन को लेकर बातचीत करने पहुंचा था। एक दौर की चर्चा के बाद एनसीपी और कांग्रेस ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि पहले हम आपस में बात करेंगे उसके बाद ही शिवसेना से बात होगी। मंगलवार का दिन महाराष्ट्र में बहुत ही गहमागहमी भरा रहा. एनसीपी पर बहुमत बटोरने की जद्दोजहद साफ नजर आ रही थी. इसी बीच कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने एक ट्वीट कर माहौल और गर्म कर दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, कांग्रेस के पास सरकार बनाने के लिए कोई नैतिक अधिकार नहीं है, ये बीजेपी और शिवसेना का फेलियर है कि उन्होंने राज्य को राष्ट्रपति शासन के कगार पर खड़ा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर राउत महाराष्ट्र में इस सियासी खींचतान के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार संजय राउत से मिलने अस्पताल पहुंचे। गौरतलब है कि संजय राउत की तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शरद पवार के अलावा बीजेपी नेता आशीष शेलार ने भी राउत से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हाल जाना।
कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को फिर से सोनिया गांधी के आवास पर मीटिंग बुलाई गई। कांग्रेस की बैठक में सोनिया गांधी ने तीन नेताओं को मुंबई जाने का निर्देश दिया है। कांग्रेस पशो पेश में है कि शिवसेना को समर्थन दे कि नहीं क्योंकि केरल और आंध्राप्रदेश की कांग्रेस का मानना है कि अगर हम शिवसेना जैसी हिन्दुत्व वाली पार्टी के साथ जाते है तो हमारी छवी को धक्का लग सकता है लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायको का मन है कि कांग्रेस शिवसेना के साथ सरकार बनाये। सुत्रो की माने तो शिवसेना की जो सोच थी उससे परे हो रहा है। क्योंकि शिवसेना को ऐसा लग रहा कि कहीं उनकी पार्टी टूट न जाये। अगर ऐसा हो गया तो फिर शिवसेना को दुबारा सभंलने का मौका नहीं मिलेगा। क्योंकि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राजनीति और तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से अब नारायण राणे ने मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार हम ही बनाएंगे और जब भी राज्यपाल के पास जाएंगे 145 के आंकड़े के साथ ही जाएंगे। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा कि बीजेपी की सरकार बनाने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा। सरकार बनाने के लिए जो करना होगा वो करेंगे। नारायण राणे ने कहा शिवसेना ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया उसे बेवकूफ बनाया जा रहा है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और ऐसे में उसे 40 और विधायकों की जरूरत होगी। राष्ट्रपति शासन लग जाने से शिवसेना को यह भी डर सता रहा है कि उनके विधायक टूट ना जाये, जो कि देखने को मिल रहा है कि उद्धव ठाकरे लगभग कितनी ही बार आदित्य ठाकरे के साथ अपने विधायको से मिलने होटेल जा चुके है । कही ऐसा भी हो सकता है कि कांगे्रस-एनसीपी के रवैये के कारण उद्धव ठाकरे फिर से एनडीए के साथ आ आकर सरकार बनाने को तैयार हो जाये । क्योंकि अब शिवसेना भी कांगे्रस-एनसीपी के तरफ से कुछ भी साफ-साफ बताने के मुड में नहीं दिख रही है। ये सब घटना को देखते हुए उद्धव ठाकरे भी थक-हार कर अमित शाह से फिर एनडीए में शामिल ना हो जाये, और अब अमित शाह भी किसी भी हद जा सकते है अपनी सरकार बनाने के लिए वो किसी से छिपा नहीं अब यह भविष्य के गर्त में छिपा है कि अमित शाह , शह या मात खाते है।
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