अब दुर्लभ आनुवांशिक रोगों का जल्दी और कारगर निदान संभव:हर्षवर्धन
नईदिल्ली 25 अक्टूबर (आरएनएस)। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने 1000 से अधिक लोगों की होल जीनोम सीक्वेंसिंग की है। इंडीजेन जीनोम परियोजना का खुलासा करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि होल जीनोम डाटा से उपचार और रोकथाम के लिये सटीक दवायें विकसित करने के मद्देनजर क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इंडीजेन के तहत निवारक और रोकथाम करने वाली दवाओं के जरिये दुर्लभ आनुवांशिक रोगों का जल्दी और कारगर निदान संभव होगा।
इंडीजेन की शुरूआत सीएसआईआर ने अप्रैल, 2019 में की है। इसे सीएसआईआर-जीनॉमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी इंस्टिट्यूट, दिल्ली और सेल्यूलर एंड मोलेक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद ने लागू किया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस पहल से आनुवांशिक रोगों का मुकाबला करने में सहायता होगी तथा इस संबंध में आनुवांशिक परीक्षण कारगर और सस्ता होगा। इसके तहत कैंसर जैसे रोगों का कारगर निदान किया जा सकेगा।
इस अवसर पर डॉ हर्षवर्धन ने इंडीजिनोम कार्ड और इंडि जेन मोबाइल एप जारी किया जो प्रतिभागियों और चिकित्सकों को उनके जीनोम क्षेत्र में नैदानिक रूप से कार्रवाई योग्य जानकारी का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही निजी जिनोमिक्स की निजता और डेटा सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक हैं। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि इसका देश में व्यक्तिगत स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है और कई वाणिज्यिक संगठनों ने इसमें रुचि दिखाई है।
इंडिजेन के परिणामों का उपयोग जनसंख्या के पैमाने पर आनुवांशिक विविधता को समझने के लिए तथा नैदानिक अनुप्रयोगों के लिए आनुवांशिक रूपांतर उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा ताकि आनुवांशिक रोगों की महामारी को समझने में मदद मिल सके। पूरे जीनोम डेटा और बड़े स्तर पर जीनोमिक डेटा के विश्लेषण के तौर तरीकों से भारत में नैदानिक और जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास में मदद मिलने की उम्मीद है।
सीएसआईआर के महानिदेशक और तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ शेखर सी मांडे ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भारत को अपनी अद्वितीय जनसंख्या विविधता के साथ जीनोमिक डेटा के संदर्भ में सही प्रतिनिधित्व मिला है और वह बड़े पैमाने पर जीनोम डेटा को बनाए रखने उसका विश्लेषण करने और उसे उपयोग में लाने के लिए स्वदेशी क्षमता विकसित करता है।
सीएसआईआर ने भारत में मानव जीनोमिक विज्ञान का नेतृत्व किया है और भारतीय जीनोम विविधता को समझने में अहम योगदान दिया है। सीएसआईआर द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीनोमिक्स में अग्रणी सहयोग को बढ़ावा दिया गया है। इसके अलावा, सीएसआईआर ने भारत में पहला व्यक्तिगत मानव जीनोम बनाने तथा देश के लोगो के मूल पूर्वजों का पता लगाने और उनके शुरुआती स्तर पर विस्थापन और अलग अलग जातीय समूहों में गठन को को समझने में योगदान दिया है। सीएसआईआर ने डीएनए / जीनोम आधारित डायग्नोस्टिक्स और बड़ी संख्या में नैदानिक माध्यमोंसे देश में दुर्लभ आनुवंशिक रोगों का पता लगाने तथा उन्हें प्रयोगशालाओं के साथ साझा करने का काम भी किया है।
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