सरकार परमाणु ऊर्जा के माध्यम से वैज्ञानिक सोच को दे रही बढ़ावा: जितेन्द्र सिंह

नईदिल्ली,18 अक्टूबर (आरएनएस)। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय,कार्मिक,जन शिकायत और पेंशन,परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि देश होमी भाभा के सपनों को साकार करने में सफल रहा है। सिंह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में 11वें परमाणु ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि होमी भाभा कहा करते थे कि भारत की परमाणु ऊर्जा शांतिपूर्ण कार्यो के लिए है। सिंह ने कहा कि सरकार विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा के अनुप्रयोगों में विविधता लेकर आई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में और विशेषकर परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये है। उन्होंने कहा कि पहले परमाणु ऊर्जा संयंत्र केवल दक्षिण भारत तक सीमित थे, लेकिन अब सरकार ने ऐसे संयंत्र देश के अन्य हिस्सों में भी लगाने शुरू कर दिये हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक परमाणु संयंत्र हरियाणा के गोरखपुर में लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग दोनों का मुख्यालय दिल्ली से बाहर है। ऐसे में छात्रों और आम जनता को परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देने के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘हॉल ऑफ न्यूक्लिर एनर्जीÓ खोला गया था। अंतरिक्ष विभाग के लिए भी ऐसा ही एक हॉल खोले जाने की योजना है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों के दौरान परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में हमने काफी कुछ हासिल कर लिया है। उन्होंने इस बारे में परमाणु ऊर्जा के लिए संयुक्त उपक्रम लगाने और परमाणु ऊर्जा के लिए बजट बढ़ाने जैसे सरकारी उपायों का जिक्र किया। उन्होंने बीमारियों और विशेषकर कैंसर के ईलाज में परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस संदर्भ में गुवाहाटी के डॉक्टर बी.बरूआ, कैंसर इंस्टीट्यूट का जिक्र करते हुए कहा कि इसे मुम्बई के टाटा मैमोरियल सेंटर फॉर कैंसर के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग कई प्रमुख सरकारी योजनाओं को लागू करने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के मन मे पैदा भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक बड़ा स्रोत है।
परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष डॉ. के.एन. व्यास ने इस अवसर पर कहा कि जलवायु परिवर्तन गंभीर रूप ले रहा है। मानवता के लिए ये बड़ा खतरा है। यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा, तो आगे स्थितियां बिगड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि बढ़ते वैश्विक तापमान को रोकने के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सबसे बेहतर विकल्प है।
एईसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के लिए हमारा बड़े पैमाने पर यूरेनियम आयात करना सही नहीं होगा। ऐसा करने से परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का खर्च बढ़ जाएगा, इसलिए हमें कम संसाधनों के साथ ही इस दिशा में आगे बढऩा होगा। सौर ऊर्जा इसके लिए बेहतर विकल्प है। भारत इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा का निर्यात कर सकता है।
एईसी के सदस्य डॉ. आर.के ग्रोवर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बिजली के उत्पादन से 40 प्रतिशत कार्बन का उत्सर्जन होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में किसी भी बेहतर प्रौद्योगिकी का वाणिज्यिक इस्तेमाल तभी संभव है, जब वह बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो।
इस अवसर पर परमाणु ऊर्जा समूह, इंडिया एनर्जी फोरम, होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट के चांसलर ने भी परमाणु ऊर्जा पर अपने विचार रखें।
सम्मेलन के दौरान परमाणु ऊर्जा उद्योग के समक्ष अवसर और चुनौतियों, शहरी कचरे के निस्तारण और स्वास्थ्य सेवाओं में परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल तथा परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा के लिए उभरती प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर तीन तकनीकी सत्र भी आयोजित किये गये।
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