शिवसेना को सौ से अधिक सीटें देने केलिए तैयार नहीं भाजपा
नई दिल्ली ,18 सितंबर (आरएनएस)। महाराष्टï्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना एक बार फिर से अलग-अलग राह चुन सकती हैं। दरअसल हर हाल में अपने दम पर बहुमत हासिल करने का लक्ष्य ले कर चल रही भाजपा शिवसेना को सौ से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। खासबात यह है कि अगले महीने ही चुनाव होने की संभावना के बावजूद सीट बंटवारे के सवाल पर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व केबीच अब तक कोई गंभीर मंथन नहीं हुआ है। ऐसे में राज्य में गठबंधन तभी बचेगा जब शिवसेना न सिर्फझुकेगी, बल्कि भाजपा की शर्त स्वीकार करेगी।
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने तनातनी को पीछे छोड़ चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए तैयार हुए थे। हालांकि नतीजे आने के बाद राज्य में सीट बंटवारे का फार्मूला फिर से दोनों दलों के गले की फंस बन गया है। इस चुनाव में भाजपा को 140 से अधिक तो शिवसेना को करीब 80 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। अब भाजपा भविष्य में किसी भी तरह के दबाव से बचने केलिए राज्य में अपने दम पर बहुमत हासिल करना चाहती है। यही कारण है कि पार्टी शिवसेना को अधिकतम सौ सीटें देने के लिए ही तैयार है।
पार्टी के एक वरिष्ठï नेता के मुताबिक बीते चुनाव में भी पार्टी ने अपने दम पर 122 सीटें जीती थी। लोकसभा चुनाव के बाद राकांपा और कांगे्रस के कई प्रमुख नेता पार्टी में शामिल हुए हैं। राकांपा और कांग्रेस के गढ़ में भाजपा को बढ़त हासिल है। शिवसेना के मुकाबले पार्टी की ताकत में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। लोकसभा चुनाव में कम सीटों पर लडऩे के बावजूद पार्टी को 145 सीटों पर बढ़त मिली। जाहिर तौर पर अगर पार्टी अधिक सीटों पर लड़ती तो यह आंकड़ा और बढ़ता। ऐसे में पार्टी ने गठबंधन की स्थिति में कम से कम 188 सीटों पर लडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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