‘निशंक ने किया लीडरशिप फॉर अकादमीशियंस प्रोग्राम (लीप)- एआरपी इन टीचिंग को लॉन्च
नई दिल्ली ,16 सितंबर (आरएनएस)। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंकÓ ने आज नई दिल्ली में पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग (पीएमएमएमएनएमटीटी) के तहत लीडरशिप फॉर अकादमीशियंस प्रोग्राम (लीप)-2019 और एनुअल रीफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (अर्पित)-2019 को लॉन्च किया।इस अवसर पर निशंक ने कहा कि शिक्षक शिक्षा प्रणाली की बुनियाद हैं और अर्पित ऐसा बड़ा मंच है, जहां शिक्षक अपने क्षेत्र में होने वाले आधुनिक विकासों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा अपनी शिक्षण खूबियों का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर नतीजों के लिए हमें इस बात की आवश्यकता है कि इस कार्यक्रम में शिक्षकों की भागीदारी को बढ़ाएं। अर्पित कार्यक्रम के प्रति अधिक से अधिक शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए प्रभावशाली कार्यप्रणाली बनाए जाने की जरूरत है।नई दिल्ली ,16 सितंबर (आरएनएस)। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंकÓ ने आज नई दिल्ली में पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग (पीएमएमएमएनएमटीटी) के तहत लीडरशिप फॉर अकादमीशियंस प्रोग्राम (लीप)-2019 और एनुअल रीफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (अर्पित)-2019 को लॉन्च किया।इस अवसर पर निशंक ने कहा कि शिक्षक शिक्षा प्रणाली की बुनियाद हैं और अर्पित ऐसा बड़ा मंच है, जहां शिक्षक अपने क्षेत्र में होने वाले आधुनिक विकासों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा अपनी शिक्षण खूबियों का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर नतीजों के लिए हमें इस बात की आवश्यकता है कि इस कार्यक्रम में शिक्षकों की भागीदारी को बढ़ाएं। अर्पित कार्यक्रम के प्रति अधिक से अधिक शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए प्रभावशाली कार्यप्रणाली बनाए जाने की जरूरत है। निशंक ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को सुझाव देते हुए कहा कि यदि हम शिक्षा के स्तर में सुधार करना चाहते हैं तो हमें शिक्षा के क्षेत्र में नई चीजों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास दृष्टि और मिशन है, हमें बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। हमें हर तीसरे महीने में विश्लेषण करना चाहिए ताकि विश्व में हम पीछे न रह जाएं। हमें मूल्यांकन करना होगा, ताकि हम विश्व रैंकिंग में आगे चलकर बेहतर काम कर सकें।मानव संसाधन विकास मंत्री ने लीप कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हम इस कार्यक्रम के जरिये प्रशासनिक क्षमताओं और संगठनों के लिए नेतृत्व का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नेतृत्व करने वालों पर यह दायित्व है कि वे संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कृत्रिम बौद्धिकता के पाठ्यक्रमों को औद्योगिक क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। निशंक ने कहा कि हमारे छात्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, इसलिए बेहतर नतीजे अवश्य मिलेंगे। शिक्षाविद कार्यक्रम के लिए नेतृत्व (एलईएपी)-मौजूदा उच्च शिक्षा दिग्गजों और प्रशासकों की उच्च प्रबंधकीय क्षमताओं का निर्माण करने और उच्च शिक्षा प्रणालियों के प्रबंधन में नई प्रतिभाओं को आकर्षित करने हेतु एक राष्ट्रीय पहल शिक्षाविद कार्यक्रम के लिए नेतृत्व (एलईएपी) राष्ट्रीय पहल की आज शुरूआत हुई है। इसका उद्देश्य एचईआई नेतृत्व विकास की संरचित योजना तैयार करना है। यह कार्यक्रम तीन सप्ताह का नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इसमें दो सप्ताह का घरेलू एक सप्ताह का विदेशी प्रशिक्षण शामिल है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दूसरे स्तर के शैक्षणिक प्रमुख तैयार करना है जो भविष्य में नेतृत्व की भूमिकाएं ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं। इस कार्यक्रम को निम्नलिखित 15 संस्थानों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है:1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खडग़पुर2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर3. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय4. जामिया मिलिया इस्लामिया5. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की6. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता7. हैदराबाद विश्वविद्यालय8. एनआईटी त्रिची9. दिल्ली विश्वविद्यालय10. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे11. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय12. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीएचयू13. टीआईएसएस मुंबई (सीएएलईएम)14. एएमयू (सीएएलईएम)15. एनआईईपीए (सीएएलईएम)पात्रता की अनिवार्य शर्तें इस प्रकार हैं : प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 8 वर्ष का अनुभव; 3 साल का प्रशासनिक अनुभव; पूर्णनिष्ठा; ‘एससीओपीयूएसÓ अनुक्रमित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं या यूजीसी अनुमोदित पत्रिकाओं में उच्च शैक्षिक महत्व के कम से कम 30 लेखों का प्रकाशन और आयु 58 वर्ष से कम हो।प्रति प्रतिभागी अधिकतम 10 लाख रूपये (विदेशी प्रशिक्षण सहित) की मंजूरी है और प्रत्येक प्रशिक्षण संस्थान में अपने विदेशी समकक्ष के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। एलईएपी प्रशिक्षण संस्थान प्रासंगिक जानकारी के साथ सूचना ब्रोशर तैयार करता है जिसमें कार्यक्रम का गठन, पाठ्यक्रम, संसाधन व्यक्ति, शैक्षणिक पहलू, आकलन और मूल्यांकन तथा भारतीय और विदेशी प्रशिक्षण की निर्धारित तिथियों के बारे में जानकारी शामिल हैं। प्रत्येक प्रशिक्षण मॉड्यूल में 30 प्रशिक्षुओं का बैच होगा। प्रशिक्षण के अंत में प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन दस महत्वपूर्ण नेतृत्व विशेषताओं पर किया जायेगा, इसमें विज़ुअलाइजि़ंग और रणनीतिक बनाना; बातचीत कौशल; जन प्रबंधन; संघर्ष प्रबंधन और तनाव से निपटना; निर्णय लेना; शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार; वित्तीय योजना और प्रबंधन; प्रशासनिक कौशल; छात्रों को समझना और सहयोग शामिल है। 2018-19 में, 15 एलईएपी अनुमोदित संस्थानों में से 12 ने 280 प्रतिभागियों के साथ अपना एलईएपी पूरा किया है। दो संस्थानों में कार्यक्रम चल रहा है और दिल्ली विश्वविद्यालय केवल एक दौर का आयोजन होने की उम्मीद है।शिक्षण में वार्षिक रिफ्रेशर कार्यक्रम (अर्पित) -मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिसंबर, 2018 में शिक्षण में वार्षिक रिफ्रेशर कार्यक्रम लॉन्च किया था। अर्पित (एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग) एक ऑनलाइन पहल है जिसके द्वारा एमओओसी (मूक) प्लेटफॉर्म स्वयं का उपयोग करके 15 लाख उच्च शिक्षा के शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय संसाधन केन्द्रों (एनआरसी) की पहचान की गई जो ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री को तैयार करने में सक्षम है।अर्पित, 2019 के लिए 51 एनआरसी से संबंधित अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इसके अंतर्गत 46 विषयों – कृषि, कानून, वास्तुकला, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, भूगोल, गृह विज्ञान, जनजातीय अध्ययन, वाणिज्य, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान, पाठ्यक्रम विकास, मानविकी, संस्कृत, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा शिक्षण, फार्मेसी, कौशल विकास, वस्त्र प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, सार्वजनिक नीति, नेतृत्व और शासन, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, मूल्यांकन, शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान विधि, जलवायु परिवर्तन आदि को शामिल किया गया है। प्रशिक्षण सामग्री को अपलोड कर दिया गया है और यह 01 सितंबर, 2019 से स्वयं के जरिए सभी शिक्षकों के लिए उपलब्ध है। वर्तमान में ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के लिए पंजीयन खुले हैं। भारत का अपना स्वदेशी एमओओसी पर द्धह्लह्लश्चह्य://ह्य2ड्ड4ड्डद्व.द्दश1.द्बठ्ठ/द्ग&श्चद्यशह्म्द्गह्म्ष्ड्डह्लद्गद्दशह्म्4=्रक्रक्कढ्ढञ्ज के जरिए पहुंचा जा सकता है।अब तक अर्पित, 2019 के लिए 48 हजार पंजीयन हो चुके हैं। अर्पित के माध्यम से सभी शिक्षकों को अपने विषयों में आधुनिक जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला है। यह कार्यक्रम बहुत सुविधाजनक है क्योंकि एक शिक्षक अपनी गति और समय के अनुसार इसमें भाग ले सकता है।एनआरसी तीन मिनट का वीडियो विकसित करता है जिसका मूल्यांकन एआईसीटीई करता है। यदि एमएमओसी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है तो इस वीडियो को स्वयं पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। पाठ्यक्रम में 40 घंटों की प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध है। इसमें 20 घंटों की वीडियो सामग्री है तथा 20 घंटों की गैर-वीडियो सामग्री है। इसमें मूल्यांकन के अभ्यास भी दिए गए हैं। पाठ्यक्रम की समाप्ति के बाद एक ऑनलाइन सत्र परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी संचालित करेगी। सफल शिक्षकों को प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे।सभी कार्यरत शिक्षकों से आग्रह है कि वे इन पाठ्यक्रमों में पंजीयन कराएं। इसके लिए शिक्षक अपने विषय और वरिष्ठता पर ध्यान न दें। अर्पित पाठ्यक्रम को पदोन्नति के लिए कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के संतुल्य मान्यता दी गई है (यूजीसी संख्या एफ2-16/2002 दिनांक 03 दिसंबर, 2018)।एनआरसी के रूप में पंडित मदनमोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक व शिक्षण मिशन के सभी केन्द्रों, आईआईएससी, आईयूसीएए, आईआईटी, एनआईटी, राज्य विश्व विद्यालय, यूजीसी के मानव संसाधन विकास केन्द्र एनआईटीटीटीआर, आईआईआईटी आदि को शामिल किया गया है।अर्पित, 2018 पूरा हो चुका है। इसमें 51 हजार शिक्षकों ने पंजीयन कराया था। 6411 शिक्षकों ने परीक्षा के लिए पंजीयन कराया। कुल 3807 शिक्षक सफल घोषित किए गए।00